Hindi, Poetry बेख़ुदी Date: July 22, 2021Author: Vivek Sharma 0 Comments तेरी बेरुख़ी जैसे हवा में नमीमेरी बेचैनी भी सुलगती जमींउबल के पिघले यूँ सारी रातख्वाहिशें जो हैं दिन भर तपींसुनाई दे बस साँसों का शोरउतरते चाँद की आहटें दबींबुझाओ ना कोई शमा आजदेखा जाए आलम-ऐ-बेख़ुदीलिपटो मुझ पर लिबास बनढक लो मेरी कमियाँ सभी Share this:TwitterFacebookLike Loading... Related